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समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
मौलाना अरशद मदनी बनाम आचार्य लोकेश मुनि: सद्भावना सम्मेलन में एजेंडे को दिखाया आईना
अल्लाह और ओम एक हैं. जब कोई नहीं था, न श्री राम थे, न ब्रह्मा थे और न शिव थे तो मनु ओम को पूजते थे. ओम कौन है? ओम ही अल्लाह है, जिन्हें आप ईश्वर कहते हैं. इस्लाम बाहर से आया हुआ मजहब है, यह कहना गलता है.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
बदले बदले से, सहमे सहमे से क्यों नजर आते हैं पारसनाथ?
उग्र होना तो इस समाज का स्वभाव नहीं था, ना ही घमंड करना. फिर क्यों जगह जगह जैन समुदाय के लोग जुलूस निकाल रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे हैं और नारे बुलंद कर रहे हैं कि 'गली गली में नारा है शिखर जी हमारा है!'
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
अशोक भाटिया
सम्मेद शिखर विवाद: अब आदिवासी और जैन समाज आमने-सामने आ गए!
झारखंड स्थित सम्मेद शिखर पारसनाथ पहाड़ी का विवाद ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा. अब इस विवाद में आदिवासी समुदाय ने अपनी एंट्री कर अपना दावा ठोंका है. पारसनाथ पहाड़ी को लेकर जो गफलत मची है माना यही जा रहा है कि इसकी एक बड़ी वजह राजनीति भी है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
सम्मेद शिखर जी विवाद: समाधान कहीं बड़े खतरे की आहट तो नहीं है?
अप्रत्याशित और अनचाही टकराव की स्थिति निर्मित कर दी गई हैं. वजहें क्या है ? क़यास ही हैं. परंतु तय है फर्जी आवाजों के पीछे विशुद्ध राजनीति है ! क्या शांतिप्रिय, धर्मभीरु और फसादों से दूर रहनेवाले जैन अब भयमुक्त होकर तीर्थयात्रा कर भी पाएंगे?
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
सम्मेद शिखरजी को धर्म के लिए रहने दें, तफरीह के लिए जगहें कम हैं क्या?
इस जैन तीर्थ को पर्यटन स्थल बनाये जाने के निर्णय ने जैन समुदाय को आंदोलित कर दिया है. हर राज्य मसलन कर्नाटक, झारखंड, दिल्ली आदि में सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए जैनियों ने शांति मार्च निकाला है, आमरण अनशन पर भी बैठे हैं.
सिनेमा
| 3-मिनट में पढ़ें
गोविंद पाटीदार
नववर्ष हमारा नहीं है, फिर हम किस बात का जश्न मना रहे हैं?
नमस्कार इस लेख में आपका स्वागत है और साथ ही एक वैधानिक चेतावनी भी. चेतावनी यह कि सत्य और तर्क सुनने की क्षमता हो तो ही यह लेख पढ़े. दुनिया भर में 1 जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है. आप भी मनाइए, खुशियां मनाइएं, मिठाइयां बांटिए. लेकिन...
सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय का प्रभार सिर्फ मुसलमानों को दिए जाने का सिलसिला टूटा!
2006 में यूपीए सरकार द्वारा गठित हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय (Minority Affairs Ministry) का प्रभार स्मृति ईरानी (Smriti Irani) को दिया गया है. तब से अब तक 5 मुसलमानों (Muslim) को इस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई. लेकिन, मोदी सरकार (Modi Government) ने इस बार जैसे ही ये 'परंपरा' तोड़ी, मानो कई लोगों को सेक्युलरिज्म टूटता दिखाई दिया.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
रमेश ठाकुर
@ramesh.thakur.7399
हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक जैसे अधिकार के और भी हैं हक़दार!
जैसा देश का माहौल है अब वो समय आ गया है जब अल्पसंख्यकों (Definition of Minorities) की परिभाषा को नए सिरे से परिभाषित किये जाने की जरूरत है. बात भारत की हो तो यहां कई जातियां ऐसी हैं जो अल्पसंख्यक बनने का अधिकार रखती हैं.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
अंकिता जैन
@ankita.jain.522
फ्रांस मामले में मुसलमानों को जैन समाज से प्रेरणा लेनी की जरूरत है
फ्रांस में जो हिंसा हो रही है उसके विरोध के लिए खुद मुसलमानों को आगे आना होगा. मुसलमानों का संगठित होकर इस कुकर्म के खिलाफ़ आवाज़ ना उठाना क्या उचित है? मुस्लिम समाज को समझना होगा कि उनके धर्म को बदनाम कोई दूसरा नहीं उनके अपने बीच के लोग कर रहे हैं. अब भी वक़्त है वरना दूसरों से की जा रहीं अपेक्षाएं अनुचित हैं.