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सोशल मीडिया
| 4-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
'कनाडा कुमार' से देशभक्ति का पाठ पढ़कर तिलमिला गए 'जागरूक देशभक्त'!
भारतीय सेना (Indian Army) के खिलाफ ऋचा चड्ढा (Richa Chadha) के मानसिक दिवालियेपन का बचाव करने के लिए वोक कम्युनिटी (Woke) के लिबरल तब तक आगे नहीं आए. जब तक ऋचा की आलोचना भारतीय सेना के ही अधिकारी और जवान कर रहे थे. लेकिन, जैसे ही बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने ट्वीट किया. ये लिबरल मधुमक्खियों की तरह उन पर टूट पड़े.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 6-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
बिल्किस बानो के मुजरिम कम्युनल हैं, तो अंकिता सिंह के क्यों नहीं?
दुमका की अंकिता सिंह मुस्लिम बहुत क्षेत्र में रहती थी. वहां का शाहरुख अंकिता को लगातार धमका रहा था. आखिर उसने जान ले ही ली अंकिता की. सवाल उसकी दरिंदगी का नहीं है. सवाल उन खामोश चुप्पियों का भी है, जो बिल्किस बानो वाले मामले में ही शोर मचाती हैं. बिल्किस की तरह न्याय की आस तो अंकिता के परिजनों को भी है न?
सिनेमा
|
एक अलग नज़रिया
| 5-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
कन्नड़ एक्ट्रेस प्रणीता सुभाष का हिंदुत्व बॉलीवुड के कई लिबरल एक्टर्स को आईना दिखा देगा!
प्रणीता सुभाष अनपढ़ महिला नहीं हैं, ना ही उन्हें कोई पति की पूजा करने के लिए मजबूर कर रहा है. तो फिर अब रत्ना पाठक शाह की कहीं बातों का क्या होगा?
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
पैगंबर टिप्पणी विवाद: भाजपा नेता दिलीप घोष की दो टूक बातों को समझने की जरूरत क्यों है?
भाजपा नेता दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने पैगंबर टिप्पणी विवाद (Prophet Remark Row) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 'जिस विचारधारा से ये घटनाएं (उदयपुर और अमरावती हत्याकांड) हो रही हैं, उसके खिलाफ बोलने में दुनिया डरती है. जो लोग तर्क से जीत नहीं सकते हैं, वो तलवार निकाल लेते हैं. और, ऐसा बहुत समय से हो रहा है.'
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
डॉ. अरुण प्रकाश
@DrArunPrakash21
Udaipur murder case: परिणाम पर प्रतिक्रिया नहीं, हिंसा का विरोध हो
महावीर कहते हैं कि 'हिंसा दूसरे के अस्तित्व का नकार है, उसके अस्तित्व की उपेक्षा है, उसके व्यक्तित्व की गरिमा का उल्लंघन है. हिंसा है अपने स्व को दूसरे के स्व पर उसकी सत्ता को एकदम नकारते हुए, आरोपण. अपने स्व की परिधि के पार ही हिंसा शुरू होती है.'
सोशल मीडिया
| 5-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
मोहम्मद जुबैर के 'समर्थक' इन तर्कों को कैसे काटेंगे?
ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) की गिरफ्तारी को उनके समर्थक लोकतंत्र के खिलाफ बता रहे हैं. लेकिन, सोशल मीडिया (Social Media) पर जुबैर की गिरफ्तारी के पक्ष में दिए जा रहे तर्कों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. क्योंकि, ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
धार्मिक भावनाओं पर ज्ञान देने वाली 'भावनाएं' जुबैर की गिरफ्तारी से आहत क्यों हैं?
बात तो शुरू होती है 'फ्री स्पीच' से. यदि मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) बेगुनाह हैं, तो नुपुर शर्मा भी हैं. और यदि धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप है, तो दोनों गुनाहगार हैं. किसी एक के खिलाफ सख्ती तो किसी के खिलाफ नरमी बरतने की वकालत कैसे की जा सकती है?
समाज
| 7-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
रांची में मारा गया मुदस्सिर या सवाल उठाने वाला साद अंसारी: मुस्लिमों के लिए 'आदर्श युवा' कौन है?
रांची हिंसा (Ranchi Violence) में पत्थरबाजों की भीड़ के साथ इस्लाम जिंदाबाद का नारा लगाने वाला मुदस्सिर (Mudassir) या तर्कसंगत बात करने का मुस्लिम छात्र साद अशफाक अंसारी (Saad Ashfaq Ansari). मुस्लिम समाज (Muslim) इन दोनों में से किसे हीरो मानेगा, ये उसे ही तय करना है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
अनु रॉय
@anu.roy.31
कश्मीर फाइल्स झूठ थी, तो क्या कल मारी गई रजनीबाला भी कल्पना है?
दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में मजहबी हत्यारों ने एक स्कूल शिक्षिका रजनीबाला को गोलियों से भून दिया. मई महीने की यह सातवीं टारगेटेड किलिंग थी. लेकिन, इन हत्याओं पर उन लिबरलों की बेशर्म चुप्पी कायम है, जो कश्मीर फाइल्स को झूठा बताने के लिए गलाफाड़ चिल्ला रहे थे.